“ज़मीन का बंटवारा (Land Partition)” परिवार या साझी (Joint) जमीन को हिस्सों में बाँटने की प्रक्रिया है। इसे कानूनी तरीके से किया जाता है ताकि भविष्य में विवाद न हो।
🔹 जमीन बंटवारे के मुख्य प्रकार
- आपसी सहमति से बंटवारा (Mutual Partition)
परिवार के सभी सदस्य मिलकर आपसी सहमति से जमीन बाँट लेते हैं।
फिर इसे रजिस्ट्री ऑफिस में पंजीकृत (Registered Partition Deed) कराया जाता है।
- राजस्व विभाग द्वारा बंटवारा (Revenue Partition)
तहसील/पटवारी स्तर पर आवेदन देकर खसरा-नक्शा के अनुसार जमीन का बंटवारा होता है।
इसमें हर वारिस को अलग-अलग खसरा नंबर और नामांतरण (Mutation) हो जाता है।
- अदालती बंटवारा (Court Partition)
अगर आपसी सहमति न बने तो कोई भी पक्ष सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर करता है।
कोर्ट का आदेश आने के बाद ही ज़मीन का बंटवारा होता है।
🔹 बंटवारे की प्रक्रिया (Process of Land Partition)
- आपसी सहमति वाला तरीका
परिवार के सभी लोग मिलकर हिस्से तय करें।
एक Partition Deed (बंटवारा डीड) तैयार करें।
इसे स्टाम्प पेपर पर लिखकर सब रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्ट्री कराएँ।
फिर नामांतरण के लिए तहसील/राजस्व कार्यालय में आवेदन दें।
- राजस्व विभाग के माध्यम से
संबंधित तहसील कार्यालय में “बंटवारा आवेदन” दें।
जरूरी दस्तावेज़ (खसरा-खतौनी, नक्शा, वारिसों का विवरण आदि) लगाएँ।
पटवारी/राजस्व निरीक्षक जाँच करेंगे और नक्शा बनाकर हिस्से तय करेंगे।
एसडीओ/तहसीलदार का आदेश आने के बाद हर वारिस के नाम अलग-अलग खसरा खतौनी दर्ज हो जाएगा।
- कोर्ट के माध्यम से
जब आपसी सहमति नहीं बनती तो किसी भी पक्ष को सिविल कोर्ट में केस दायर करना होता है।
कोर्ट आदेश के बाद राजस्व विभाग अमल करता है और बंटवारा रजिस्टर में दर्ज होता है।
🔹 जमीन बंटवारे के लिए ज़रूरी दस्तावेज़
मूल खसरा-खतौनी / जमाबंदी नकल
जमीन का नक्शा
सभी वारिसों/साझेदारों के पहचान पत्र (आधार, वोटर ID)
वारिस प्रमाणपत्र (अगर पैतृक जमीन है और मालिक की मृत्यु हो चुकी है)
रजिस्ट्री की कॉपी (अगर खरीदी हुई जमीन है)
स्टाम्प ड्यूटी/रजिस्ट्री फीस (Partition Deed के लिए)
✅ संक्षेप में:
आपसी सहमति हो तो → Partition Deed बनाकर रजिस्ट्री कराएँ।
सहमति न हो तो → तहसील/कोर्ट में आवेदन करें।
बंटवारे के बाद हर हिस्सेदार के नाम से अलग खसरा-खतौनी (भूमि रिकॉर्ड) बन जाएगा।

